HomeNews Postक्या है गठिया या ओस्टियोआर्थराइटिस या अर्थराइटिस और क्या उसके लक्षण होते हैं?
क्या है गठिया या ओस्टियोआर्थराइटिस या अर्थराइटिस और क्या उसके लक्षण होते हैं?
अर्थराइटिस या गठिया जोड़ों की एक बीमारी है। अन्य प्रकार के होने वाले जोड़ों के घटिया बाय से यह अलग होता है, क्योंकि यह जोड़ों के सिवा शरीर के किसी और अंग या कोशिका को प्रभावित नहीं करता है।
हालांकि ओस्टियोआर्थराइटिस या गठिया या अर्थराइटिस शरीर के करीब करीब किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, घुटना अक्सर ही गठिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला जोड़ होता है।
अर्थराइटिस या गठिया का सबसे आम लक्षण जोड़ों का दर्द होता है, जो कि बार-बार के जोड़ों के इस्तेमाल से होता है। जोड़ों का यह दर्द अक्सर ही शाम के समय पर अधिक होता है। जोड़ों के दर्द के साथ ही ओस्टियोआर्थराइटिस से गठिया या अर्थराइटिस जोड़ के गतिविधि या सामान्य हरकत की सीमा को सीमित कर देता है।
जोड़ों में दर्द के साथ सूजन गर्माहट एवं कचर कचर की आवाज भी हो सकती है। अधिक समय तक जोड़ों में हरकत ना होने के बाद जोड़ों दर्द के साथ जकड़न भी होता है, जैसे कि कुछ घंटों तक सिनेमा हॉल में यह गाड़ी में बैठे रहने के बाद। गंभीर रूप से प्रभावित जोड़ में कार्टिलेज कोशिका अक्सर पूरी तरह से नष्ट हो चुकी होती है, और यह हड्डियों के बीच में होने वाली घर्षण को रोकने में नाकामयाब रहती है। इस गंभीर स्थिति में दर्द अक्सर ही बिना किसी जोड़ के हरकत के भी हो सकता है। कई बार मनुष्य इस कारण से रात को ठीक से सो भी नहीं पाता।
गठिया या अर्थराइटिस से होने वाले लक्षण मरीज से मरीज में अलग अलग हो सकते हैं। कुछ मरीज में यह उनके जीवन को इतना प्रभावित करता है कि वह चलने फिरने से भी मजबूर हो जाते हैं, दूसरी तरफ ऐसे भी गठिया के मरीज होते हैं जो गंभीर रूप से जोड़ों के नष्ट होने के बाद भी सामान्य तौर पर बिना किसी परेशानी के अपना जीवन निर्वाह करते हैं। गठिया से होने वाले जोड़ों के दर्द या अन्य लक्षण रुक रुक कर भी हो सकते हैं। ऐसे मरीज भी देखे गए हैं जो गंभीर गठिया या अर्थराइटिस होने के बावजूद लंबे समय तक बिना किसी लक्षण के रहे हैं।
घुटने का गठिया या अर्थराइटिस अक्सर उन मरीजों में देखा गया है जो सामान्य से अधिक मोटे या जिनके घुटने में पहले कभी कोई चोट लगी हो या कोई घुटने की शल्यक्रिया हुई हो। कार्टिलेज कोशिका के प्रचलित प्रगतिशील भ्रष्ट या पतन होने से जोड़ों में विकार या तेढापन आ जाता है, और घुटने बाहर की तरफ निकलने शुरू हो जाते हैं। जिन मरीजों में घुटने का घटिया होता है उनको अक्सर ही लंगड़ा कर या अपने पैरों को घसीट कर चलते देखा गया है। गठिया के कारण जैसे-जैसे यह पीड़ा यह दर्द बढ़ता है, मरीज का चलना फिरना कम हो जाता है और उसका वजन बढ़ने लगता है, इससे घुटनों पर और भी अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, और उनके क्षतिग्रस्त होने की गतिविधि और तेज हो जाती है।
अक्सर ही घटिया के ऐसे मरीज दर्द की दवाइयों के आदी हो जाते हैं जिनका दुष्परिणाम शरीर के अन्य अंगों जैसे कि गुर्दा पर पड़ता है। कई मरीजों में गठिया या अर्थराइटिस इतना गंभीर होता है की उनका दर्द या पीड़ा दवाइयों या अन्य साधारण उपायों से भी काबू में नहीं आ पाता।
भारत में या पूरे विश्व में ओस्टियोआर्थराइटिस गठिया या अर्थराइटिस सबसे ही महत्वपूर्ण घुटने की प्रतिस्थापन चल शल्यक्रिया का कारण है।