घुटनों के दर्द का इलाज में कितना खर्च आता है?
भारत के किसी भी अच्छे अस्पताल में एक घुटने के प्रत्यर्पण का खर्च आमतौर पर 2 लाख की कीमत से शुरू हो जाता है। यही खर्च विदेशों में कई गुना अधिक होता है। घुटने के प्रत्यर्पण में होने वाला खर्च अक्सर करने वाले सर्जन की क्षमता अनुभव और अस्पताल की क्वालिटी पर निर्भर करता है।
घुटनों के दर्द का इलाज के बाद आम तौर पर सही होने में कितना समय लगता है?
घुटने के प्रत्यर्पण के बाद एक आम मनुष्य को ठीक होने में 6 से 8 सप्ताह का समय लगता है जिसके बाद वह किसी भी बाहरी सपोर्ट जैसे की छड़ी बैसाखी इत्यादि के बिना अपने रोज के कार्य कर सकता है।
घुटने के प्रत्यर्पण के बाद के दिनों में क्या उम्मीद करनी चाहिए?
जब कोई मरीज घुटनों का प्रत्यर्पण करवाता है तो उसकी अगले कुछ दिनों की क्रियाओं को निम्न समझा जा सकता है
पहला दिन- भारत के सारे मान्यता प्राप्त अस्पताल अपने जोड़ प्रत्यर्पण वाले मरीजों को रखने के लिए खास ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सूट का इंतजाम करते हैं। पहले दिन मरीज की स्थिति को समझते हुए उन्हें दवाइयां और ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद सामान्य भोजन दिया जाता है।
दूसरा दिन – अक्सर मरीजों को दूसरे दिन से फिजियोथेरेपी चालू कर दी जाती है और मरीज फिजियोथैरेपिस्ट के सहयोग से खड़ा होना एवं कुछ कदम चलना प्रारंभ कर देता है।
तीसरा दिन – आमतौर पर इंजेक्शन से दी जाने वाली कुछ दवाइयां बंद कर दी जाती हैं और ऑपरेशन में लगे चेहरे की पट्टी कर दी जाती है।
चौथा दिन – इंजेक्शन से दी जाने वाली सारी दवाइयां
बंद कर दी जाती हैं और मरीज अब मुंह से दवाई लेने लगता है।
पांचवा दिन – पांचवें दिन तक मरीज अपनी मर्जी से चिड़िया वैशाखी के सहयोग से चलना शुरू कर देता है, और अस्पताल से छुट्टी करने की अवस्था में होता है।
14 दिन- मरीज एक बार और अपने चेकअप के लिए अस्पताल आता है और ऑपरेशन में दिए गए चेहरे की सारी टांके खोल दिए जाते हैं।
अगले 2-3 हफ्तों के लिए मरीज अपने घर में एक फिजियोथेरेपिस्ट लगाकर फिजियोथैरेपी कराता है और बिना किसी सहयोग के चलने लायक हो जाता है।
घुटना प्रत्यर्पण ऑपरेशन के बाद किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
घुटना प्रत्येक तन में इस्तेमाल होने वाले आधुनिक कृत्रिम जोड़ करीब करीब वह सब कुछ करने की आजादी देते हैं जो एक प्राकृतिक जोड़ करता है। इसके बाद भी किसी भी परेशानी से बचने के लिए एवं अपने कृत्रिम जोड़ की आयु को अधिक से अधिक समय तक चलाने के लिए कुछ निम्न सावधानियों की आवश्यकता है।
उकडु या आल्थी पालथी बैठने से बचना चाहिए।
शौच के लिए अंग्रेजी कमोड का इस्तेमाल करना चाहिए।
भागदौड़ एवं तेज गति से होने वाली खेल क्रीड़ा से बचना चाहिए।
भारी वजन नहीं उठाना चाहिए।
उपरोक्त सावधानियों का पालन करने से एक कृत्रिम जोड़ 20 से 25 साल तक सामान्य तौर पर एक मरीज को चलने में मदद कर सकता है।
घुटने की अर्थराइटिस व प्रत्यर्पण से कैसे बचा जा सकता है?
घुटने का प्रत्यर्पण उन्हीं मरीजों में किया जाता है जो अन्य साधारण तरीकों जैसे फिजियोथैरेपी दवाइयां एवं कसरत से अपने दर्द को काबू नहीं कर पाते। अगर समय रहते सही तौर पर व्यायाम फिजियोथैरेपी एवं वजन कम करने सहित अन्य चीजों पर ध्यान दिया जाए तो अर्थराइटिस से बचा जा सकता है।
घुटना प्रत्यारोपण होने के बाद कितना दर्द होता है? गत कुछ वर्षों में आधुनिक मेडिकल तकनीक से अब करीब-करीब भारत के सारे मुख्य अस्पताल पेशेंट कंट्रोल एनाल्जेसिया से लैस है। इसमें मरीज के हाथ में खुद अपने दर्द को कम करने के लिए कंट्रोल दिया जाता है
जिससे वह बटन दबाकर अपने दर्द के अनुसार दवाई अपने शरीर में भेज सकता है। तात्पर्य यह है कि घुटना प्रत्यर्पण के बाद मरीज को असहनीय पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ता।
घुटना प्रत्यर्पण के बाद ठीक होने में एक मरीज को कितना समय लगता है? किसी मरीज को घुटना प्रत्यर्पण के बाद ठीक होने में अधिकतम 6 से 8 हफ्तों का समय लगता है।
घुटना प्रत्यर्पण के लिए सबसे सही आयु क्या है?
घुटना प्रत्यर्पण कराने के लिए आयु को लेकर ऐसा कोई खास नियम नहीं है एक मरीज जोकि फिजियोथेरेपी व्यायाम एवं दवाइयों के बाद भी जोड़ों में असहनीय पीड़ा से ग्रस्त रहता है, या फिर अपने आर्थरिटिस इसके कारण अपने दिनचर्या के काम नहीं कर पाता को घुटना प्रत्यर्पण का निर्णय लेना चाहिए।
घुटनों के दर्द का इलाज नहीं कराने से क्या नुकसान हैं?
अधिकतर मरीज किसी डर या किसी और कारण से अपने घुटनों का प्रत्यर्पण नहीं कराना चाहते। ऐसे मरीज अक्सर कई वर्षों तक दर्द की दवा लेते रहते हैं जिसका प्रभाव शरीर के अन्य हिस्सों पर पड़ता है। भारत में ऐसे
मरीज असंख्य हैं जो दर्द की दवा लगातार खाते रहने के कारण अपनी (kidney)गुर्दा खराब करवा चुके हैं। घुटना प्रत्यारोपण नहीं कराने से मरीज के अपने नित्य काम में बाधा होती है, और उसके कम चलने फिरने के कारण उसका वजन भी बढ़ते जाता है जिसका प्रभाव फिर से घुटनों पर और शरीर के अन्य हिस्सों पर पड़ता है।
क्या घुटनों का प्रत्यर्पण एक बड़ा ऑपरेशन है?
जी हां घुटनों का प्रत्यर्पण एक बड़ा ऑपरेशन है जिसमें कई घंटों का समय लगता है यही कारण है कि घुटनों का प्रत्यर्पण एक अनुभवी डॉक्टरों की टीम द्वारा अच्छे अस्पताल में कराना चाहिए।
घुटनों के दर्द का इलाज के दौरान जोड़ों के लिगामेंट का क्या किया जाता है? गठिया (arthritis) के साथ जोड़ के लिगामेंट भी अक्सर खराब हो जाते हैं और घुटनों के प्रत्यर्पण के दौरान इनको हटा दिया जाता है। कुछ मरीजों में जिनमें यह लिगामेंट की स्थिति ठीक होती है उनमें जो कृत्रिम जोड़ है वह विशेष प्रकार का डाला जाता है जिससे यह लिगामेंट बचे रहते हैं।
क्या जोड़ के ऊपर की कटोरी निमा हड्डी घुटना प्रत्यर्पण में निकाल दी जाती है या बदली जाती है?
अगर इस हड्डी की अंदरूनी सतह खराब होती है तो उस उसका भी प्रत्यर्पण किया जाता है नहीं तो यह हड्डी ऐसे ही छोड़ दी जाती है।
घुटनों के दर्द का इलाज कराने के लिए क्या तैयारियां की जाती हैं?
अगर मरीज अपनी तरफ से कुछ समय पहले से घटना प्रत्यर्पण के लिए कुछ निम्न आवश्यक तैयारियां करें तो ऑपरेशन के बाद पुनर्वास आसान एवं जल्द होता है।
मरीज को प्रत्यर्पण के लिए डॉक्टर एवं अस्पताल का निर्णय कर लेना चाहिए।
मरीज को कसरत करने की आदत डाल लेनी चाहिए एवं हो सके तो कुछ किलो वजन भी कम कर लेना चाहिए।
अगर मरीज किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करता है तो इससे मुक्ति प्राप्त कर लेनी चाहिए।
अपने घर में अंग्रेजी शॉच कमोड एवं वाकर या वैशाखी का इंतजाम कर लेना चाहिए।
घुटनों के दर्द का इलाज से पहले किस प्रकार के व्यायाम करने चाहिए?
यह महत्वपूर्ण है कि घुटना प्रत्यर्पण का मरीज
कम से कम 15 दिन पहले से व्यायाम करना शुरू कर दे इससे पुनर्वास में आसानी होती है दर्द में भी कमी आती है एवं पुनर्वास में समय भी कम लगता है। जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम करने चाहिए। इस व्यायाम को सही तरीके से करने के लिए एक फिजियोथेरेपिस्ट की मदद लेना एक अच्छा विकल्प है।
घुटनों के इलाज के बाद कौन से व्यायाम करने चाहिए?
घुटना प्रत्यर्पण के बाद टांगो को सीधा हवा में उठाना, जांघों की मांसपेशियों को कसना, एड़ी एवं पंजों को नियमित रूप से चलाना चाहिए।
घुटना प्रत्यर्पण के क्या विकल्प हैं?
घुटना प्रत्यर्पण से बचने के लिए गठिया के प्रारंभिक समय में कई अन्य छोटे ऑपरेशन किए जा सकते हैं, जैसे कि high tibial osteotomy या proximal fibular osteotomy
घुटना प्रत्यारोपण में क्या प्रक्रिया होती है?
घुटना प्रत्यर्पण में जोड़ों के अंदर के खराब कार्टिलेज कोशिका को हटाकर उसकी जगह पर नई तकनीक के धातु की सतह लगा दी जाती है।
आंशिक जोड़ प्रत्यर्पण क्या है?
आंशिक जोड़ प्रत्यर्पण यानी कि Unicompartmental Knee Replacement (UKR) वह प्रक्रिया है जिसमें घुटने का केवल एक हिस्सा या आधा हिस्सा जो कि क्षतिग्रस्त है, को ही बदला जाता है इस जोड़ प्रत्यर्पण को बटन सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है।
घुटनों के दर्द का इलाज में क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
घुटना प्रत्यर्पण पूरे विश्व की सबसे सफलतम शैल्य क्रियाओं में से एक है। एक अनुभवी सर्जन द्वारा किए जाने पर इसमें जटिलताएं ना के बराबर होती हैं। इसके बावजूद 1% मरीजों में कुछ जल्दी बताएं जैसे कि अधिक मात्रा में खून बहना दर्द का बने रहना जोड़ों में जकड़न सूजन इत्यादि हो सकते हैं। नाड़ियों एवं नसों का नुकसान होने की भी संभावना हो सकती है।
घुटनों के दर्द का इलाज करने के बाद एक कृत्रिम घुटना कितने समय तक चलता है?
अधिकांश लोगों में एक कृत्रिम घुटना अक्सर 15 से 20 वर्षों तक आसानी से चलता है।